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मुंबई की तरह दिल्ली में क्यों नहीं हो सकती महिला सुरक्षित : हाईकोर्ट


मुंबई की तरह दिल्ली में क्यों नहीं हो सकती महिला सुरक्षितराजधानी में महिलाओं के खिलाफ तेजी से बढ़ते अपराध पर हाईकोर्ट ने बुधवार को कड़ी नाराजगी जाहिर की। हाईकोर्ट केजरीवाल सरकार और दिल्ली पुलिस से यह बताने के लिए कहा कि मुम्बई की तरह दिल्ली में महिलाएं सुरक्षित क्यों नहीं हो सकती हैं।

 

 

 

न्यायमूर्ति जी.एस. सिस्तानी व ज्योति सिंह की पीठ ने राजधानी को महिलाओं के लिए अपराध मुक्त करने के लिए कार्ययोजना तैयार करने का आदेश दिया है। पीठ ने कहा है कि ‘मुंबई में महिलाएं रात में आजाद होकर घूम सकती हैं लेकिन दिल्ली में ऐसा क्यों नहीं हो सकता है। पीठ ने कहा कि हमारे पास दिल्ली में सर्वश्रेष्ठ संसाधन और बेहतर अधिकारी हैं तो फिर यहां पर चूक कहां हो रही है। महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध को चिंताजनक बताते हुए पीठ ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को पुलिस व अन्य संबंधित विभागों के साथ बैठक करने और अपराध पर लगाम लगाने के लिए कार्ययोजना बनाने को कहा है।

हाईकोर्ट ने कहा है कि निर्भया कोष में 3000 हजार रुपये जमा है, इसका इस्तेमाल अपराध को रोकने के लिए क्यों नहीं हो रहा है। दिसंबर, 2012 में चलती बस में पैरामेडिकल छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म व हत्या की घटना के बाद यह कोष बना था। पीठ ने सरकार से कहा है कि हम निर्भया कोष में रखे पैसे का इस्तेमाल राजधानी में सीसीटीवी कैमरे और सड़कों पर लाइटें लगाने में क्यों नहीं करते। पीठ ने कहा है कि इससे इस कोष बनाने का मकसद भी पूरा होगा। इससे पहले दिल्ली पुलिस का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता राहुल मेहरा ने हाईकोर्ट के इस टिप्पणी से सहमति जताया। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल से वह (पुलिस) भी इस फंड का इस्तेमाल सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए करने के पक्षधर है। मेहरा ने कहा यह पैसा सिर्फ अपराध होने के बाद खर्च करने के लिए नहीं है बल्कि इसका मकसद अपराध होने से रोकने के उपाय करने का भी था।